GRISHNESHWAR SHIVA TEMPLE

भारत का घृष्णेश्वर मंदीर - १२ वा ज्योतिर्लिंग ( INDIA'S GRISHNESHWAR SHIVA TEMPLE - 12th JYOTIRLINGA ) 

GRISHNESHWAR SHIVA TEMPLE

वेरुलसे करीबन देढ किलोमीटर की दुरीपर बसा घृष्णेश्वर ये शिव मंदीर ( Grishneshwar Shiva Temple ) भारत ( India ) का महत्वपूर्ण धार्मिक क्षेत्र है ! वैसेही बारा ज्योतिर्लिंग मे से यह आखिरी ज्योतिर्लिंग ( Jyotirling ) है ! १८ वी सदीमे इस मंदीर का जीणोर्द्धार इंदोर के राणी अहिल्यादेवी होलकर ने किया था ! इससे पहले शिवाजी महाराज के दादाजी मालोजीराजेने इस मंदीर को खेत मे मिला धन दिया था ऐसा उल्लेख इतिहास मे किया गया है ! 

लाल सॅंड्स्टोन से बनाया गया यह मंदीर वास्तुशिल्प का बहोत ही सुंदर उदाहरण है ! पौराणिक कई कथाये यहा मुर्तीरुप मे तराशी गयी है ! उसमे शिवपार्वती विवाह, ब्रम्हा, विष्णु और गणेश कथा भी है ! भारत के १२ ज्योतिर्लिंग की खासियत यही है के उसमे शंकर महादेव ज्योतिस्वरुप मे स्थित है ऐसी समझ है ! 

इस मंदीर की भी सुंदर कथा सुनायी जाती है ! घृष्णा और सुदेहा दोनो बहने थी और सगी सौतन भी थी, याने दोन्होने एक आदमी से शादी की थी ! मगर दोनोंको भी बालबच्चे नही थे ! घृष्णा बडी शिवभक्त थी और नित्यनियम से शिव जी की पुजा और उपासना किया करती थी ! उसका ही फल उसे मिला उसको पुत्रप्राप्ती हुयी मगर उसकी सौतन  सुदेहा ने उससे जलन के कारण उसके बच्चे को मार कर नदी मे फेंक दिया ! यह घटना घटी तब घृष्णा शिव पुजा मे लिन थी मगर अपने बच्चे की मौत की खबर सुनकर भी वो जराभी विचलीत नही हुयी उसने शिव पुजा आधे मे नही छोडी ! उसका कहना ये था के जिसने उसे पुत्र दिया है वही उसकी रक्षा करेंगे ! घृष्णा की यह शिवभक्ती देखकर शिव शंकर उसपर प्रसन्न हो गये और घृष्णा का पुत्र जिवित होकर नदी से बाहर आ गया ! मगर उसने अपनी माता घृष्णा से कहा की वह सुदेहा को माफ कर दे ! घृष्णा के भक्ती से शिव शंकर प्रसन्न हो गये थे इसलिये उसने शिव जी से यहा ज्योतिरुप मे रहने की प्रार्थना की और भोलेनाथ उसकी यह प्रार्थना सुन ली ! घृष्णा के नाम से ही इस क्षेत्र को घृष्णेश्वर नाम प्राप्त हो गया ! 

औरंगाबाद से ३० किलोमीटर दुरीपर बसा यह मंदीर यकिनन देखनेलायक है ! श्रावण मे यहा बहोत भीड होती है वैसेही सोमवार के दिन मे भी होती है ! जागृत देवस्थान होने की वजह से यहा हमेशा पुजा और अभिषेक के लिये भक्त आते रहते है ! अगर हमे इस घृष्णेश्वर मंदीर ( Grishneshwar Temple )  के शिल्पकला का आस्वाद लेना हो तो बिना भीडवाले दिन ही जाना बेहतर होगा ! 

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