GANGOTRI – UTTARAKHAND INDIA

भारत के उत्तराखंड का गंगोत्री क्षेत्र ( GANGOTRI – UTTARAKHAND INDIA )

GANGOTRI – UTTARAKHAND

भारतीयोंके दिल मे गंगा नदी की क्या जगह है ये बताना बडा मुश्कील है ! महत कोशिशो से भगीरथ ने स्वर्ग लोक की गंगा धरती पे उतारी और इस पवित्र नदी से सारा भारतवर्ष पावन हो गया ! नदी जीवनदायी होती है मगर गंगा नदी केवल जीवनदायी नही तो उससे भी जादा बहोत कुछ है ! गंगा का पाणी कीतने ही समय तक रखो कभी खराब नही होता है ! इसलिये तो कभी लौट के न आनेवाले अपने प्रियजन जब अंतिम यात्रा के लिये निकलते है तो उनके मुख मे गंगा का पानी डालने के लिये बहुत से हिंदु परिवार गंगा के पानी वाला गडु ( लोटा ) अपने घर के भगवान के मंदीर मे रखते है !  भारतीयोंका गंगा नदीसे कुछ अलग ही रिश्ता है ! इसलिये हिमालय के चार धाम की यात्रा करते समय गंगोत्री का स्थान देखना बहोत जरुरी है ! जिनका भगवानपर भरोंसा है उनको ये स्थान श्रद्धा की तौरपर और जिनका भगवानपर भरोंसा नही उनको कुदरत की खुबसुरती का नजारा देखने के लिये गंगोत्री जाना जरुरी है ! 

हृषीकेशसे गंगोत्री जा सकते है, उत्तरकाशीसे ९९ किलोमीटर पे बसी गंगोत्री समुद्र की सतहसे ३१०० मीटर उंचाईपे बसी जगह है ! उत्तरकाशी, तिलबाडा, रुद्रप्रयाग और गंगोत्री ये रोज का रास्ता है ! हिमालय की हद मे आनेवाले गंगोत्रीमे गंगादेवीका सुंदर मंदीर है यकीनन वो यहा भगीरथी के नाम से बहती है मगर देवप्रयाग मे उसका अलकनंदा से संगम होता है और आगे वह गंगा नदी के नाम से जाने जाती है ! गंगोत्री गंगा नदीका उगमस्थान माना जाता है मगर असल मे उसका उगम गंगोत्रीसे ३ किलोमीटर का मुश्किलोंसे भरा रास्ता पार करने के बाद है ! उसको कहते है गोमुख यहा गाडीया नही जाती इसलिये घोडे के उपरसे या पैदल जाना पडता है ! यह पुरा रास्ता निसर्गप्रेमीयोंके आंखोंके लिये किसी दावत से कम नही है ! यहा का शांत और खुबसुरत परिसर मन को खामोशी के हालात मे ले जाता है ! 

इसके पिछे यह कहानी बतायी जाती है के राजा भगीरथ ने अपने पुर्वजोंको पापमुक्त करके मोक्ष दिलाने के लिये बहोत कोशिशोंसे धरती पे लाया ! राजा सगराने पृथ्वीपर के सारे राक्षसोंका नाश करके संम्राटपद पानेकेलिये अश्वमेध यज्ञ किया ! उसके शक्ती से डरे इंद्रने ये अश्व समाधी मे लीन कपिल मुनी के आश्रममे लाके बांध दिया ! सगराके साठ हजार पुत्र आश्रम मे आये और गलतफहमी से उन्होने सारे आश्रम को क्षतीग्रस्त कर दिया ! जब कपिल मुनी अपनी समाधी से जगे और ये सब देखा तो उन्होने उनको श्राप दे दिया जिससे ये सारे पुत्र नष्ट हो गये ! उनकी रक्षा ले जाने तथा उनको मोक्ष मिलने के लिये राजा दिलिपने तपश्चर्या की उसके बाद भगीरथ ने तप किया ! भगीरथ पर गंगा प्रसन्न हो गयी और धरती पे आयी ! जिस पत्थर पर बैठकर भगीरथने तपश्चर्या की वो भगीरथशिला मंदीर के पास ही है ! 

गंगा मंदीर बहोत ही खुबसुरत है, बहोत ही साफ और फरसबंदी परिसर का है ! अभी का ये मंदीर जयपुर नरेश ने बंधवाया है ! मगर १८ वी सदी मे इस मंदीर का निर्माण गोरखा अमरसिंह थापा ने किया था ऐसा कहा जाता है ! मंदीर के अंदरुनी सिंहासनपर तीन मुर्तीया दिखती है ! उसमे से बीच की गंगा दायी ओर जमुना और बाये ओर सरस्वती की मुर्तीया है ! गंगा और जमुना के मुर्तीका मुख सोनेका है ! वहा ही निचे भगीरथ और अन्नपुर्ना की मुर्तीया है ! लाखो भक्तजन इस मंदीर मे आते रहते है ! यहा टॅक्सी बस सिधे आती है पहाड चढना नही पडता है ! 

मंदीर से कुछ सिढीया निचे उतरने के बाद भगीरथ नदी का किनारा लगता है ! यह जगह उंचाई पर है इसलिये यहा थंड होती है और नदी का पानी भी ठंडा होता है ! दुर बसी बर्फ की चोटीया हमेशा आपके साथ चलती रहती है ! नदी के बाये किनारे पे मंदीर है और दाये किनारे से चलने के बाद सहस्त्र धाराओंसे निचे गिरती गंगा दिखायी देती है ! उसका ये रौद्र रूप दिखायी देता है ! आसपास सूचिपर्णी पेडोंका जंगल, कई तरह के पत्थर के फुल, नेची जैसी वनस्पती ये सब नजारा आंखोंको खुली रखकर देखने जैसा है ! नदी से थोडी दुरिपर सुर्यकुंड है ! ये एक झरना है और आश्चर्य से भरे रंगोंके पत्थरोन्मेसे ये प्रवाह जोरोंसे बहता है ! नदी का पानी बहोत ही साफ और निर्मल है ! यहा से थोडा आगे जाते ही गौरीकुंड करके एक जगह है ! रास्ता छोडके थोडा निचे उतरके जाने के बाद पहाडोंसे जोरोंसे निचे बहता नदी का प्रवाह सांस रोखकर देखना ये भी बहोत अजीब है ! पानी की रफ्तार देखकर सिनेमे डर पैदा होता है ! 

गंगोत्री के पहाडोन्मे कई छोटी बडी गुफा ये है और यहा तपस्वी साधना करने के लिये रहते है ! गंगोत्री के लिये जाने का सही समय मार्च से ऑक्टोबर है, सर्दीयोन्मे ये जगह पुरी तरहसे बर्फ से झकी होती है ! रहने के लिये हॉटेल्स है मगर गढवाल निगम की हॉटेल्स सबसे अच्छी है ! पहले बुकिंग करके यहा आना चाहिये ! वैसे ही हवा का मिजास कब बदल जाये इसका कोई भरोसा नही है इसलिये गरम कपडे और हाई अल्टीटुड की तकलीफ ना होये इसलिये आवश्यक दवाये साथ होना आवश्यक है ! तो जीवन मे एक बार तो गंगोत्री ( GangotrI ) जरुर जाये  ! 

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