ज्वालादेवी मंदीर – भारत के हिमाचल प्रदेश का अद्भुत और रहस्यमय तीर्थक्षेत्र ( JWALADEVI TEMPLE – WONDERFUL AND MYSTERIOUS HOLY PLACE IN INDIA )
भारत ( India ) के हिमाचल प्रदेश ( Himachal Pradesh ) के कांगाडासे ( Kangada ) ३० किलोमीटर के दुरीपर बसा ज्वालामुखी माता मंदीर ( Jwaladevi Temple ) देवी सती के शक्तिपीठोमेंसे एक माना जाता है ! यह जगह अजीब, अद्भुत और अविश्वसनिय ( Wonderful and Mysterious ) है क्योंकी यहा किसी मुर्ती की नही बल्की पृथ्वी की गहराई से निकलने वाली नौ ज्वालाओंकी पुजा की जाती है ! इस मंदीर से कई कहानिया जुडी हुयी है ! ऐसा माना जाता है सती देवी के जो ५२ शक्तिपीठ है उसमे से इस जगह देवी सतीकी जिभ गिरी थी ! इस जगह को जीतावाली, नगरकोट के नाम से भी जाना जाता है ! पांडवोने इस जगह की खोज की थी ऐसी समझ है !
यहा अलग अलग नौ ज्वालाये है जो कभी भी नही बुझती ! उनको महाकाली, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका और अंजीदेवी इस नाम से जाना जाता है ! इन ज्वालाओंके उपर ही मंदीर बनाया गया है ! ऐसी कहानी बतायी जाती है की अकबर के जमाने मे ध्यानु भगत नाम का एक भक्त अपने १००० भक्तोंके साथ इस क्षेत्र के दर्शन के लिये जा रहा था तब अकबर ने उन्हे रोक दिया ! ज्वालामाता की शक्ति और ध्यानु की भक्ति का इम्तहान लेने के लिये अकबर ने एक घोडे का सिर उडाया और उसे पुन्हा जिवित करने की चुनौती दे दी !
ध्यानुने इस चुनौती का स्विकार किया और घोडेका सिर और उसका धड महिनाभर संभालकर रखने को कहा ! ज्वालामुखी मंदीर पोहचते ही ध्यानु और उसके भक्तोने देवी को मन्नत की और घोडा जिवित हो गया ! बाद मे अकबर अपनी सैनिकों के साथ वहा पहुंचा और उसने अपने सैनिको को मंदीर की ज्वाला को पानी से बुझाने के लिये कहा ! मगर बहोत कोशिशोंके बावजुद सैनिक आग बुझानेमे असमर्थ रहे ! तब अकबरने ज्वालादेवी के महीमा के आगे अपना सिर झुकाया और इस मंदीर के लिये ५० मण का सोने का छत बनाया ! भुगर्भ वैज्ञानिकोंके ७० साल निरंतर कोशिशोंके बावजुद उन्हे कही भी आसपास प्राकृतिक वायु या तेल के भंडार नही मिले ! आज भी भारत ( India ) के हिमाचल प्रदेश ( Himachal Pradesh ) के ज्वालादेवी मंदीर ( Jwaladevi Temple ) की ये ज्वालाये कैसी जल रही है ये एक रहस्य ( Mysterious Place ) बना हुआ है !
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