JAISALMER – RAJASTHAN INDIA

राजस्थान का जैसलमेर ( JAISALMER – RAJASTHAN INDIA )

JAISALMER, RAJASTHAN,

रेगिस्तान का नाम लेते ही नजर के सामने आता है बिना हरियाली के खाली पडा प्रदेश ऐसी अपनी सोच है और यकीनन वह सही भी है ! मगर कुदरत ने निर्माण किये हर चिजो मे कुछ न कुछ तो सौदर्य है पर उसे देखने वाली नजर चाहिये ! अगाध समुंदर का सौदर्य जैसे अलग वैसे हे उंचे उंचे परबत के शिखरोंका का भी अलग ही थाट है ! पर जहा तक नजर जाये वहा तक फैली हुयी मुलायम रेत , उसका सुनहरा रंग और हवा की हलकी लहरोंसे उसपर उठने वाली नाजुक लहरोंकी नक्षी ये सौदर्य का अविष्कार खासकर आजमानेका विषय है ! उसके लिये आपको जाना होगा राजस्थान के जैसलमेर मे ( Jaisalmer – Rajasthan India ) ! 

राजस्थान पराक्रमी राजा और राजघराणोंका प्रांत है ! अभी वह राजा नही रहे मगर उनकी कहानीया पिछे रह गयी है ! उनके राजमहल, रेगिस्तान मे खिलाये हुये विशाल बाग बगिचे, विशाल हवेलीया, मन को मोह लेने वाले यहा के रंग बिरंगी बाजार पर्यटकोंको मन मोह लेने के लिये तैयार है ! थार के रेगिस्तान मे जोधपुरसे करिबन ३०० किलोमीटर की दुरीपर बसा है जैसलमेर जैसे राजस्थान का मेरुमणी ! 

इस शहर के बारे मे यह कहा जाता है की यादववंशी श्रीकृष्णने अर्जुन के समक्ष ऐसी भविष्यवाणी की थी के यादवोंका वंशज त्रिकुट परबतपर अपना राज्य प्रस्तापित करेगा ! श्रीकृष्ण की ये भविष्यवाणी सच हो गयी और ११ वी सदी मे खुद को यादव वंशंज कहलानेवाले रावल जैसल इस भट्टी राजपुत ने त्रिकुट परबत पर अपनी नयी राजधानी बसायी वह ये जैसलमेर ! दिल्ली सिंध मार्गपर रेशम, मसालोंका व्यापार करने वालोंसे जबरदस्त करवसुली करके वैभवशाली बने ऐसे ये दुसरोंपे राज्य करनेवाले राजपुत सरदार थे ! उन्होने बहोत विशाल खुबसुरत महल, हवेली और सुंदर जैन मंदीर बनाके इस शहर को वैभव दिलाया ! जैसलमेर मे ८० मीटर उंचे पहाडोपर बनाया पिले सॅडस्टोनका किला आज भी उसकी गवाही देता है ! पिले लाईट के रोषणी मे जगमगाता ये किला सचमुच सोनेका का किला महसुस होता है ! 

इस राजमहल मे सुंदर बनावट की इमारते, बाजार और उत्कृष्ट शिल्पकारी से सजी खुबसुरत जैन मंदीरे तेढीमेढा पत्थरोंसे सजा १ किलोमीटर का लंबा रास्ता किले मे लेके जाता है ! इस किलेसे जैसलमेर के आसपास का नजारा देखना बहोत ही खुशनुमा एहसास भरा है ! इस किलेसे बाहर निकलते ही लगता है १९ वी सदी मे बनायी गयी नाथमल हवेली, पटवा हवेली, और सालिमसंग हवेली ऐसी खासियतभरी हवेली या ! संकीर्ण गलियोंसे निकलते ही ये हवेलिया आती है ! हर एक हवेली की अपनी खासियत है ! उनके उपर का खुदाइ काम, सुंदर जालिदार सज्जे, अंदरुनी कमरे, रंग बिरंगे कांच से सजी खिडकिया ये सब देखनेलायक है ! उसमेंसे सालिमसंग हवेली ३०० साल पुरानी है और सुंदर निले रंग के गुबंद छत और मोरोंकी तराशी हुयी नक्षी के वजह से प्रेक्षणीय है ! किले के अंदर का जैन मंदीरोंका खुदाई काम और तराशकारी नजरो मे समा जाये ऐसी है ! 

जैसलमेर से करीबन २५ किलोमीटर की दुरीपर सॅम ड्युंस और ४० किलोमीटर की दुरी पर खुरी गांव है जो संपुर्णता रेगिस्तान मे बसा हुआ आखिरी गांव है ! यहा जाये तो सिर्फ रेगिस्तान देखने क्योंकी सुर्यास्त का मंजर जो यहा दिखता है वैसे कही और नही ! इस गांव मे रहने के लिये छोटी छोटी झुग्गीया है ! शाम के समय उट के उपर या उट की गाडी मे बैठकर ड्युंस जाना ! शांत बैठकर सुरज का विशाल केशरी गरम गोला ढलते हुये देखना ! रात मे आनंद लेना राजस्थानी लोककला का और दाल वाटी, चुरमा, गट्टे का साग इन खास राजस्थानी पदार्थोंका और अंधेरी रात मे आसमान के अनगिणत नक्षत्रोंका ! रात के अंधेरे मे ये रत्नोंसे जडे तारे कैसे मन मोह लेते है इसका अनुभव तो लेना ही चाहिये ! 

जैसलमेर से मुख्य रुप से खरीदने चाहिये तो बस चमडेके जुते। विभिन्न हस्तशिल्प, चमड़े के सामान, नाजुक बनायी हुयी चीजे, कपड़ा, ॲंटिक चीजोंका बडा बाजार है मगर परदेसी पर्यटको की बडी तादाद मे आने से यह बाजार काफी महंगा है ! जैसलमेर रहने के लिए पांच सितारा हॉटेल से लेकर सामान्य हॉटेल तक काफी सुविधाये उपलब्ध है वैसेही यहा आने जाने के लिये रेल, बस का भी अच्छा प्रबंध है ! जैसलमेर ( Jaisalmer ) मे जाने का अच्छा मौसम जनवरी से मार्च तक का होता है !

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