BANARAS – A HISTORICAL CITY OF INDIA

बनारस – भारत का एक ऐतिहासिक शहर ( BANARAS – A HISTORICAL CITY OF INDIA )

BANARAS

वाराणसी ( Varanasi, काशी ( Kashi ) और बनारस ( Banaras ) ऐसे कई नामोंसे जाना जानेवाला उत्तर भारत ( Uttar Pradesh ) का ये शहर हिंदु लोगोंका स्वर्ग माना जाता है ! पवित्र गंगा नदी कई शहरिंसे बहती है मगर बनारस याने गंगा नदी का शहर ऐसे इसकी पहचान है ! क्योंकी गंगा किनारे मौत हो गयी या दहन किया गया हो तो मोक्ष मिल जाता है ऐसी हिंदु धर्मकी अतुट श्रद्धा है ! हजारो सालोंका इतिहासीक ये शहर कई गलियो, गंगाकिनारे बसे अनेक घाट, घाट पे बसी शेकडो मंदीरे और सुर्योदय के समय गंगा मे खडे रहकर सुरज  अर्ध्य देनेवाले सेकडो भक्त ये सब देखणे के लिये यहा  एक बार तो जाना चाहिये ऐसा ये शहर है ! किंतु परंतु इन सब बातोंको बाजु मे रखकर अतुट श्रद्धा से आये हुये भक्तोंको देखणा ये भी देखनेलायक नजारा है ! दुनियाभर से भारत भ्रमण के लिये आये हुये पर्यटक बनारस को आये बिना अपने देश को लौटते नही ऐसी इसकी पहचान है ! 

सर्दीमे कडाके की थंड और गरमीयो मे बदन को जलाने वाली गर्मी ऐसा अलग यहा का मौसम होता है ! इसलिये ऑक्टोबर से मार्च का समय यहा जाने के लिये सबसे बेहतरीन समय है ! बनारस एक पवित्र क्षेत्र है इसलिये यहा जाने के लिये रास्ते, हवाई और रेल सेवा बडी तादाद मे मौजुद है ! मगर शहर की गलिया बहोत छोटी होने के कारण रिक्षा बेहतरीन माध्यम है ! ट्रफिक जाम होना यहा की हमेशा की समस्या है ! 

बनारस का विश्वनाथ मंदीर गोल्डन टेंपल करके भी जाना जाता है ! इस मंदीर पे मुघलोने कई हमले किये थे ! दहशतवादियोंके हिट लिस्ट पर होने की वजह से यहा कडक बंदोबस्त होता है इसलिये बॅग, पेन, कॅमेरा आप अंदर लेके नही जा सकते ! जितनी बार ये मंदीर तबाह किया गया उतनी दफा हिंदु राजाओने इस मंदीर पुन्हा निर्माण किया ! पवेश द्वार पे कालभैरव का मंदीर जिन्हे शिव जी का रूप और मृतृ का प्रतिक माना जाता है ! यहा मिलने वाला काशीका धागा गले तथा हाथो मे बंधवाने की प्रथा है ! काशीयत्रा करने वाले भक्त ये धागा अपने घरवालोंके लिये अवश्य लेके जाते है ! बनारस मे बहोत सारे मंदीर है ! दुर्गा मंदीर, तुलसीमानस मंदीर और मनमंदीर यह मंदीरे कुछ खास मंदीरो मे गिनी जाती है ! उसके साथ साथ मौसम विभाग और बनारस हिंदु विद्यापीठ अवश्य यात्रा करे ! हरीयाली और खामोशी से भरा विद्यापीठ का परिसर मन को मोह लेता है ! स्वातंत्र युद्ध के समय यह विद्यापीठ पुरब का ऑक्सफर्ड करके जाना जाता था ! यहा १२४ अलग अलग विषयोंके विभाग है उसी तरह यह एशिया का सबसे बडा रेसिडेंसियल विद्यापीठ है ! 

बनारस से १३ किलोमीटर दुरीपर सारनाथ यह बौध धर्मियोंका पवित्र क्षेत्र है और यहा भगवान बुद्ध को ज्ञानप्राप्ती हुयी ऐसा माना जाता है ! यहा ही गौतमबुद्ध ने अपने अनुययोंको पहला प्रवचन दिया था ! ये जगह डिअर पार्क के नाम से भी मशहूर है ! इस जगह कई एशिया के देशोने उनके पारंपारीक वास्तुकला मे बुद्धमंदीरे बनयी है ! बनारस छोडने से पहले काशीविश्वेश्वर की बहेण गौरीमाता का दर्शन लेने की प्रथा है ! 

इस शहर की और एक खासियत याने काशीमे गंगा किनारे बनाये हुये घाट ! मनकर्णिका, पंचगंगा, दशावमेध, केदार, नारद और जहा राजा हरिश्चंद्र ने अपने बेटे का अंत्यसंस्कार किया वो हरिश्चंद्र घाट, हनुमान घाट ऐसे कई घाट यहा है ! मगर इनमेसे अनेक घाटोंपर अंत्यसंस्कार किये जाने की वजह से वहा बहोत गंदगी होती है ! उस वजह से गंगा मे नाव से घुमते हुये ये घाट देखना फायदेमंद होता है ! दिवाली और शिवरात्री मे विश्वेश्वर मंदीर को खासा सजाया जाता है ! घाट पे की जाने वाली गंगा की आरती तो कभी भी छोडनी चाहिये ऐसी होती है ! नास्तिक के दिल मे श्रद्धा का दीप जला दे ऐसा यह नजारा होता है ! बनारस मे गंगा मे स्नान करने के लिये आने वालोंकी तादाद दिनभर मे ६० हजार से जादा होती है ऐसा कहा जाता है ! सुर्योदय और सुर्यास्त के समय गंगा मे नौका विहार करना एक अनोखे खुशी की अनुभुती कराता है जो बया करना मुश्किल हो ! 

बनारस को जाना हो तो वहा की बनारसी शालु खरीदना अनिवार्य है ! यहा का सिल्क मशहूर है मगर धोखाधडी भी बहोत होती है इसलिये खरीदते वक्त एतियार बरते ! प्राकृतिक तेल, परफ्युम भी यहा अच्छे मिलते हैं। आलू चाट, पानी पूरी, लस्सी दलिया, मीठे खाद्य पदार्थ अगर सफाई की सोच बाजुमे रखकर खाना आता हो तो जरुर खाये ! 

काशीसे लौटते वक्त और कुछ नही लिया तो भी चलेगा मगर गंगा का तिर्थ जरुर साथ लेके जाये ! जीवन की अंतिम यात्रा करते वक्त अगर गंगाजल मुख मे लेके यात्रा हो इसलिये गंगा का तिर्थ साथ होना जरुरी है ! 

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