BADRINARAYAN – INDIA

भारत का बद्रीनारायण तिर्थक्षेत्र  ( BADRINARAYAN – INDIA )

BADRINARAYAN

हिमालय ( Himalaya ) के चार धाम यात्रा मे से महत्वपुर्ण और बहोत ही खुबसुरत क्षेत्र यानी बद्रीनारायण ( Badrinarayan ) , पाच प्रयागोंके दर्शन करानेवाले बद्री के राहपर एकबार तो चलना चाहिये ऐसी है ! प्रयाग माने नदियोंका संगम ! हृषिकेश से इस क्षेत्र की दुरी ३०० किलोमीटर की है ! रास्तेमे पहले लगता है वह अलकनंदा और मंदाकिनीका संगम करानेवाला रुद्रप्रयाग ! उसके बाद आता है कर्ण प्रयाग याने पिंडार और अलकनंदा नदी का संगम ! इसके किनारे पे है उमा मंदीर, कर्ण ने इसी जगह सुर्यदेव की तपश्चर्या की ऐसा कहा जाता है ! उसके बाद लगता है नंदप्रयाग, ये बहोत ही छोटी जगह है ! यहा अलकनंदा मंदाकिनी नदीका संगम होता है ! बद्री की राहपर की महत्वपुर्ण जगह यानी जोशीमठ ! ये पहले ज्योर्तिमठ के नाम से जाना जाता है ! 

जोशी मठ के यहा आद्य शंकराचार्य का मठ है और अतिप्राचीन कल्पवृक्ष भी यहा देखने को मिलता है ! नृसिन्ह का मंदीर भी देखने लायक है ! हिमवर्षाव सुरु होते ही बद्रीनारायण की पुजा इसी जगह पे की जाती है ! जोशीमठ से १० किलोमीटर की दुरीपर विष्णुप्रयाग है ! यहा अलकनंदा और धौली नदी का संगम होता है ! उसके बाद आता है गोविंदघाट ! ये शिख धर्मगुरु गोविंदसिंह का स्थान है और हेमकुण्ड ये शिखोंका धार्मिक क्षेत्र है ! यहा से व्हॅली ऑफ फ्लॉवर के लिये रास्ता जाता है ! गोविंदघाट से पांडुकेश्वर ये चार किलोमीटर का रास्ता है और ये योगध्यान बद्रीका क्षेत्र है ! पंडु राजाका अंत यहा हुआ ऐसा कहा जाता है ! 

उसके बाद लगती है हनुमानचट्टी यहा हनुमानजीने वृद्ध बंदर का रूप लेकर भीम का गर्वहरण किया था ऐसी कथा कही जाती है ! उसके बाद ९ किलोमीटर का चढाव वाला सुंदर रास्ता है और यहा रानगुलाबोंकी खुशबु महकती रहती है ! और इसके बाद आता है बद्रीनारायण का क्षेत्र ! हिमालय ये शंकर भगवान की जगह है उसमे ये एकमेव विष्णु की जगह है ! ऐसी कथा सुनाई जाती है के शिवपार्वती के घर के बाहर एक बालक रो रहा था ! उसे पार्वती ने अपने घर मे लिया और शिवपार्वती स्नान करने चले गये ! वापस आने के बाद उस बालक ने घर का दरवाजा नही खोला और इस जगह पे कब्जा जमा लिया क्योंकी विष्णु ही उस बालक रूप मे वहा आये थे ! 

अलकनंदा नदी के किनारे पे सुंदर विष्णु मंदीर है ! यहा गरम पानी के कुए भी है ! सिढीया चढने के बाद उंची जगह पे मुख्य मंदीर है ! महाद्वार याने सिंहद्वारपर दशावतार तराशे हुये है और इसका परिसर बहोत बडा है ! गरूड, लक्ष्मी, गण, घंटाकर्ण इनकी मंदीर इस परिसरमे ही है ! मंदीर के अंदर जाते ही दाहिने तरफ समर्थ रामदास स्वामी ने स्थापित किया हुआ वीर मारुती है ! मंदीर का शिखर पॅगोडा प्रणाली का है ! मंदीर की मुख्य जगह पर अंधेरा होने की वजह से मुर्ती ठिक से दिखाई नही देती ! मगर काले पत्थरोमे खुदाई हुयी चतुर्भुज मुर्ती पद्मासनस्थिती मे है ! बाये ओर श्रीलक्ष्मी और दुसरी तरफ नरनारायण मुर्ती है ! कुबेर और गणेश जी की मुर्तीया भी है ! मंदीर मे नंदादीप है ऐसे कहा जाता है की बद्री की प्राचीन मुर्ती पारस से बनायी गयी है ! पारस याने लोहे को सोने मे तब्दील करने वाला पत्थर यहा से नजदीक पितृतीर्थ पे पिंड्श्राद्ध विधी की जाती है ! 

बद्री से पांच किलोमीटर की दुरीपर बसी जगह पे जाना न भुले ! अलकनंदा नदीके दाये किनारे पे बसी यह जगह इंडोचीन सीमा का भारत का आखिरी स्थान है ! एक पे एक बसे पत्थर और उनमे बसी गुफाये एक व्यास की और एक गणेशजी की ! यहा ही व्यास ने गणेश जी को महाभारत सुनाया और गणेश जी ने उसे लिखा ऐसी समझ है ! नजदीक ही सरस्वती नदी का प्रवाह है जिसे देखते ही रूह कांप जाती है इतने जोरोंसे वह बहता है ! उसके उपर है भीमशिला, पांडव जब स्वर्ग की राहपर प्रस्तान कर रहे थे तब सरस्वती को पांव ना लगे इसलिये भीम ने एक शिला नदी के प्रवाह के उपर डाल दी ऐसा भी कहा जाता है ! महाभारत की पोथी कहके एक पत्थर दिखाते है और वह सचमुच एक किताब की तरह प्रतित होता है ! तो बद्रीनारायण ( Badrinarayan ) की यात्रा जरुर किजिये ! 

No comments:

Post a Comment