चित्रकूट परबत – भारत का एक महत्वपूर्ण स्थान
मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बुदेलखंड मे बिखरा हुआ चित्रकूट आज पर्यटनस्थल करके बहोत ही मशहूर है ! मगर पुराने जमाने से ये जगह धार्मिक, सांस्कृतिक आणि ऐतिहासिक नजरीये से भारत का महत्वपूर्ण स्थान है ! अनेक तरह की मंदीरे, प्रेक्षणीय स्थल ऐसा इस जगह का जिक्र वाल्मिकी के रामायण मे भी मिलता है ! चित्रकूट का मतलब है अनेक तरह के आश्चर्य से भरा पहाड !
श्री राम, सीता और लक्ष्मण ने उनके वनवास के साढेग्यारह साल इस चित्रकूट मे बिताये ऐसा माना जाता है ! घना जंगल कही तरह की विपुल वृक्षसंपदा तथा फल, फुल इस तरह का स्थान तो किसी के भी मन को मोह लेगा इसमे कोई शक नही ! सती अनुसुया, अत्री ऋषी, दत्तात्रेय, महर्षी मार्कंडेय ऐसे अनेक साधुसंतोने यहा साधना की और अलौकिक शक्ति प्राप्त की ऐसी श्रद्धा है ! ब्रम्हा विष्णु महेश का अवतार भी यही हुआ ! वाल्मिकी के रामायण मे इसके संदर्भ मिलते है ! वैसेही महाकवी कालिदास के रघुवंश मे इस खुबसुरत जगह का वर्णन किया गया है, यक्ष का एकांतस्थान ऐसा वर्णन कालिदासने किया है ! मगर चित्रकूट के बदले रामगिरी ऐसा नाम उन्होने मेघदूत मे दिया है ! संत तुलसीदास को भी रामदर्शन का लाभ इसी जगह पे हुआ !
यह वही जगह है जहाँ श्रीराम और भरत का मिलन हुआ था, यहाँ से ही भरत श्रीराम जी की पादुका ले गये थे फिर उनको अयोध्या के सिहासन पे रखकर राज चलाया ! फिर राम जी ने यह जगह छोडके दंडकारण्य मे प्रवेश किया ऐसा रामायण मे लिखा है ! भरत मिलाप यहा चार दशरथ पुत्रोंका मिलन हुआ था वह इतना दिल को छु लेनेवाला था के वहाके पत्थर पिघल गये ! इसी पत्थरो मे उभरे हुये राम और सीता के पैरोंके निशाण आज भी देखने को मिलते है ! वहा नजीक जानकी कुंड है यानी सीता माता के स्नान की जगह ! मंदाकिनी नदी के किनारे पे बसा रामघाट अवश्य देखणे लायक है ! इस जगह पे अनेक साधुसंतो ने साधना की है ! रात को की जानेवाली आरती बहोत मनोहारी होती है, यहा पे ही श्रीराम जी ने तुलसीदास को दर्शन दिये थे ऐसी भक्तोंकी श्रद्धा है !
कामदागिरी परबत यानी असली चित्रकूट ! घनघोर जंगल से घिरी इस चोटीपर अनेक मंदीर है ! यहाँ से १६ किलोमीटर पे बसा सती अनसूया आश्रम यानी असली वनविहार ! अत्रीऋषी के साधना से पावन हुये इस स्थान पर अनेक तरह के पंछी भी देखने को मिलते है ! ऐसी कहानी सुनने को मिलती है के इस इलाके मे दस साल से बारीश नही हुई थी तब सती अनुसया के घनघोर तप का आरंभ किया ! आखिरकार उनको उनकी तपश्चर्या का फल मिल गया, स्वर्ग से मंदाकिनी नदी जमीन पर आयी और ये परिसर तृप्त हो गया ! राम जी ने भी इस जगह को भेट दी थी ! यहाँ ही सती का महत्व उन्होंने सीता माता को कथन किया था ! यहाँ से ही दंडकारण्य की शुरुवात होती है, दंडकारण्य यानी रावण का अरण्य ( जंगल ) !
चित्रकूट से १८ किलोमीटर की दुरी पर गुप्त गोदावरी करके सुंदर स्थान बसा है जहा दो गुफाये है ! सेकडो फूट से गिरणे वाला यह झरना हनुमान धारा नाम से जाना जाता है ! हनुमान जी जब लंका का दहन करके आये तब उनकी पुंछ की आग बुझाने के लिये श्रीराम ने इस झरने का निर्माण किया ऐसा माना जाता है ! यहाँ से चित्रकूट का मन को मोह लेने वाला दर्शन होता है !
इस जगह जाने के लिये बस तथा टॅक्सी सेवा है मगर नागपुर या रायपुर तक रेल सफर करके आगे किसीभी वाहन से यहाँ पहुँचा जा सकता है ! पर्यटन स्थल के तौर पर इस जगह का विकास किया गया है इसलिये रहणे और खाने का अच्छा प्रबंध किया गया है ! जंगल सफारी का मजा लेना है तो इस जगह जरुर जाना चाहिये ! यहाँ सर्दी या गर्मीयोकी शुरुवात मे जाना अच्छा समय है !
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