कश्मीर का मानसबल सरोवर और क्षीरदेवी मंदिर
श्रीनगर से २ घंटे की दूरी पर, ऊँचे ऊँचे विलो के पेड़ोके बीच से गुजरता हुआ रस्ता, जैसे कोई ग्रीन टनल हो ! बिच बिच में झांककर देखने वाले छोटे छोटे गाँव, दूर दराज फैले हुए धान और सरसो के खेत ! बर्फ की चादर ओढ़ साथ साथ चलने वाली पहाड़ोंकी चोटिया ! सरसो के पिले फूल आसमान के नील रंग और पहाड़ोंके जामुनी रंग से मेल खाते हुए ! अगर रस्ता इतना खूबसूरत है तो हम जहां जा रहे है वह सरोवर और पुरातन मंदिर कैसा होगा इसकी उत्सुकता पलपल बढ़ती जाती है !
महज डेढ़ घंटे का सफर तय करने के बाद हम मानसबल सरोवर के पास पहुंचते है ! दल सरोवर की ही तरह जहां नजर घुमाओ तो सिर्फ पानी ही नजर आता है ! पर दल सरोवर की तरह ऊँचे शिखर और हाऊस बोंटोकी भीड़ नहीं ! बिच बिच में उडनेवाले पानी के फुवारें, सरोवर के किनारे बनाया हुआ सुन्दर बगीचा, गजब की खामोशी, लोगोंकी चहल पहल तो बिलकुल ही नहीं ! घने पेड़ोंके निचे बैठकर बस सरोवर को देखते बैठने से मेडिटेशन का अनुभव होता है ! मन अंदर ही अंदर शांत होते जाता है ! मानो ऐसा लगता है किसीसे कुछ बात न करू बस सामने नजर आ रही कुदरत की खूबसूरती का जाम पीते रहूँ ! इस स्थितिमे कितना समय गुजर गया ये पता ही नहीं चलता !
अगला पड़ाव आता है क्षीरदेवी मंदिर का, कश्मीरीमें इसे खिरदेवी भी कहते है ! बहुत बड़ा अनोखा मंदिर पत्थर की बनावट, शिवलिंगकी साँचे में ढला, अष्टकोण वाला ! रावण इस देवी को प्रसन्न करके फिर लंका ले गए थे, मगर रावण का चलरहा अन्याय और अनाचार देखकर देवी क्रोधित हो गयी और उसने हनुमानजी को आदेश दिया की मुझे ऐसी जगह ले चलो जहां कोई आ न सके ! और फिर हनुमानजी उसे यहाँ हिमालय लेके आ गये ऐसी कहावत यहाँ मशहूर है ! देवी की मूर्ती की जगह छोटेसे पानी के कुंड में है ! मूर्ती दूर से दिखाई नहीं देती मगर उसकी तसबीर वहां लगाईं गयी है जिसमे वह बहोत ही खूबसूरत, कलात्मक और सममित दिखाई देती है ! देवी की मूर्ती जिस कुंड में है वहां का पानी दुधी रंग का है, इसलिए वह खीरदेवी के नाम से जानी जाती है ! अगर कोई भी मुसीबत आने वाली हो तो वह पानी काला हो जाता है ऐसा वहाके पुजारी का कहना है !
मंदिर के परिसरमे ही हनुमानजीका मंदिर, हनुमानजीकी मूर्ती भी बहोत खूबसूरत है ! इस मंदिर के परिसर में ही चिनार वृक्षोंके पेड़ है जो मन मोह लेते है ! कश्मीर का जिक्र हो तो चिनार के वृक्ष आ ही जाते है पर इस मंदिर में जो चिनार के वृक्ष है वह बहोत ही पुराने है ! क्योंकी इसकी जेड बहोत ही बड़ी है अगर चार पांच लोग मिलके भी इसे अपने बाहोंमे लेने की कोशिश करे तो भी वह बाजुओंमें नहीं समाती ! यहाँ आने के बाद कही और जाने को मन नहीं करता है !
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