राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन – माऊंट आबु ( MOUNT ABU – RAJASTAN )
तपते राजस्थान मे एकमात्र हिल स्टेशन है जिसका नाम है माऊंट आबु. शंख वृक्ष तथा अनेक तरह के फुलोंसे सजे हरेभरे जंगल की पहाडोंको ओढे सजा हुआ रेगिस्तान ! हिल स्टेशन की सारी खुबसुरती यहा पायी जाती है ! मगर यहा का प्रमुख आकर्षण है 11 से 13 वी सदी मे बना दिलवाडा जैन मंदीर, जैन लोगोंका तीर्थक्षेत्र. अनेक ऋषीयोंके यहा रहने से अबु पवित्र स्थान बन गया है ! उनमे से एक वशिष्ठ ऋषी है जिन्होने दानवोंसे इस सृष्टी को बचाने के लिये यज्ञ किया था जिससे चार अग्निकुल राजपुत वंश का निर्माण हुआ ऐसी इसकी कथा है !
इस जगह जाने के लिये बसेस, टॅक्सी, रेलसेवा भी है ! हवाई जहाज से अहमदाबाद जाके भी यहा पहुंच सकते है ! मगर रेल का सफर बहोत ही बेहतरीन है ! अबु रोड पहुंचने के बाद तेढे मेढे रास्ते, अजीब तरहोंके पत्थरोसे भरा ये घाटरस्ता अबुको ले जाता है ! बीचमे ही नख्खी सरोवर है जो बहुत ही खूबसुरत है ! यहा नौकाविहार का मजा ले सकते है, इस सरोवर के किनारोंके चोटीपर अनेक तरह के शिलाये है ! उसमे भी मेढक पत्थर अलग ही है तालाब मे कुदने के तयारीमे बैठा हुआ ऐसा उसका आकार है ! नंदी का पत्थर भी है ! भगवान ने अपने उंगली के नाखुन से खोदकर ये तालाब तयार किया ऐसी कहावत है ! समुद्र की सतह से 1200 मीटर ऊंचाई पर बना भारत का एकमात्र कुत्रिम तालाब है !
दिलवाडा मंदीर याने संगमरमर पे तराशी हुयी बहोत ही नाजुक, सुबक कलाकृती, नजर रोक देने वाली, मंदीर के मध्यमे ऋषभदेव की मुर्ती है ! आसपास 52 मंदीऱोंका ये समुह है, हर मंदीर मे भगवान की मुर्ती. 48 तराशे हुये स्तंभोवाला प्रवेशद्वार, दरवाजे, स्तंभ, छत के ऊपर अप्रतिम मुर्तीकला मानो कारागिरोंके खासियत का बेजोड नमुना ! मंदीर देखने के समय गाईड की मदद जरुर लेनी चाहिये जिससे इस तराशे हुये काम की जाणकारी समजना मुश्किल हो जाता है !
अबुके प्रमुख गांवसे थोडी दुरी पे अर्बुजा देवी है जिसके दर्शन करने ही चाहिये, विशाल पत्थरोमे तराशी हुयी गुफा जैसे तीन सौ सिढिया चढके ऊपर जाना पडता है ! ये दुर्गादेवी है जो आधार देवी के नाम से जानी जाती है ! नख्खी तालाब के नजदीक बसा रघुनाथजी का मंदीर चवथे सदी का है ऐसा कहा जाता है ! अबु को हरतरफ हरियाली, बडे बाग बगीचे इन्होने और भी खुबसुरत बना दिया है !
गुरुशिखर माऊंट आबु से करीब है जो अरवली परबत का सबसे ऊंचा शिखर है ! समुद्रकी सतह से इसकी ऊंचाई 1722 मीटर है ! यहा चढके भी जा सकते है उसी तरह डोली की भी सुविधा है ! ऊपर पोहचने के बाद अबु का असीम नजारा नजर आता है ! इस शिखरपर दत्त भगवान का मंदीर तथा अनेक साधु संतोंकी तपश्चर्या से यह स्थान पवित्र हो गया है !
माऊंट आबु मे गर्मियोमे त्यौहार होते है ! बौद्ध पौर्णिमासे शुरु होने वाले इस त्यौहार मे सुंदर तालाब के किनारे आदिवासी, लोक कलाकार, शास्त्रीय संगीतकार अपनी कला पेश करते है ! सर्दियो मे नये साल के मौके पे यहा बहोत भीड होती है ! फेब्रूवारी से जून तक का समय यहा जाने के लिये बेहतरिन समय होता है ! रहणेका – खानेका सही इंतजाम होता है !
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