रामेश्वरम - पामबन रेलवे ब्रिज
पर्यटन प्रेमीओ के लिये घूमने का क्या साधन हो इसका कोई ख़ास चॉइस नहीं रहता है ! आज कल लोग समय बचने के लिए हवाई जहाज के सफर का ज्यादा इस्तेमाल करते है ! मगर हमारे चारो तरफ फ़ैली कुदरत की नायब खूबसूरती का मजा लेते हुए किया गया बस तथा रेल का सफर भी हमें बहोत आनंद देता है ! उसमे भी रेल सफर का अपनाही मजा होता है ! देश का पवित्र तीर्थक्षेत्र रामेश्वरम जाते समय लगाने वाला समंदर के ऊपर से जाने वाला १०० सालसे भी ज्यादा पुराना रेलवे ब्रिज भी ऐसे खतरनाक और रोमांचित करने वाले सफर का जीता जागता उदहारण है ! इस ब्रिज से सफर करते वक्त भगवान की याद न आये ऐसा तो हो ही नहीं सकता ! इस ब्रिज से जब रेलवे दौड़ने लगती है तो दिल की धड़कने बढ़ जाती है , अपने साथ कुछ गलत तो नहीं होगा ऐसा ख्याल मन में आ ही जाता है क्योंकी ये ब्रिज कुल २.३ किमी लंबा है !
देश का ये एकमात्र समंदर के ऊपर का रेलवे ब्रिज है जो सबसे खतरनाक है यही इसकी पहचान है ! तमिलनाडु का ये ब्रिज रामेश्वर से पामबन टापू तक जाता है ! ब्रिटिश कालमे साल १८८५ में इस ब्रिज का निर्माण सुरु हुआ, ये ब्रिज कुदरत और टेक्नोलॉजी का अनोखा संगम है ! इस ब्रिज के निर्माण के लिए गुजरात के कच्छ से मजदूर बुलाये गये थे ! इस ब्रिज के काम की समाप्ती १९९४ में हुयी तब से लेकर आज तक बिना रुके इस ब्रिज पर रेलवे का सफर चालु है ! उस समय में ये देश का सबसे लंबा समंदर के ऊपर का ब्रिज था और इसलिए इस ब्रिज को ऐतिहासिक महत्व है !
आज १०० साल पुरे हो गये मगर ये ब्रिज जैसे था वैसे ही आज भी है ! यह ब्रिज बिचमेंही खुल जाता है, इस ब्रिज के लिए १४५ कॉन्क्रीट के पिलर समुन्दर में खड़े किये गए है ! आज भी समुन्दर की लहरोसे तथा तुफ़ानोसे जुज़ते हुए भी ये ब्रिज उसी दमखम से खड़ा है !
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