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सिक्किम का खूबसूरत पेलिंग शहर समुद्र सतह से २१५० मीटर की ऊँचाई पर स्थित है ! बर्फ़ से ढंके हुए पहाड़ और पहाड़ों की चोटियों से दिखने वाले मनोरम दृश्य इसे और भी हसीन बना देते हैं ! इस शहर से कंचनजंघा का बेहद मनोरम नजारा दिखता है ! इसके अलावा पेलिंग का समृद्ध इतिहास और संस्कृति इसे गंगटोक के बाद सिक्किम का सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थान बना देते हैं ! कहते हैं शुरू में पेलिंग जंगलों से भरा इलाका थाजिसमें कई जानवरों का बसेरा था ! इसका विकास एक समृद्ध गांव के रूप में होने का सबसे बड़ा कारण बने दो बौद्ध मठों पेमयांग्स्ते और संगाचोलिंग जिनके बीच में यह स्थित है !
वैसे तो सारा सिक्किम ही बेहद खुबसूरत है पर पेलिंग की बाद ही कुछ और है ! कहीं भी खड़े हो जायें कंचनजंघा की चोटियां शान से अपना सर उठाये ख्ाड़ी दिखाई देती हैं ! साथ ही पेलिंग के दोनों बौद्ध मठ पेमयांग्स्ते और संगचोएलिंग भी मौजूद हैं ! इसके अलावा आप यहां सिंगशोरे ब्रिज, छांगे वॉटरफॉल और खेचुपेरी झील के भी नजारे देख कर इस जगह के दीवाने हो जायेंगे ! पेलिंग में जो लिम्बु समुदाय की जनजाति पायी है ! इस क्षेत्र में कई उपजातियां भी हैं जैसे खामधक, मुरिंगला, लिंगदेन और पघा ! यहाँ के लोगों को प्रमुख व्यवसाय खेती है ! इलायची, मक्का, धान, गेहूँ और कुट्टू यहां की मुख्य फसलें हैं !
वैसे तो गर्मी में आप जब भी मौका मिले पेलिंग जा सकते हैं पर अगर आप अगस्त के महीने के आसपास जायें तो प्रतिवर्ष मनाये जाने वाले कंचनजंघा त्योहार का मजा ले सकते हैं ! इस दौरान यहां हर ओर उत्सव का माहौल रहता है ! त्योहार के दौरान कई मजेदार खेल और दूसरे कार्यक्रम भी होते हैं, जैसे रनरंगित में व्हाईट वॉटर रॉफ्टिंग, कयाकिंग, ट्रेकिंग, पहाड़ों पर बाइकिंग और दूसरे एडवेंचर गेम्स के साथ कई पारंपरिक खेलों में भी आप शामिल हो सकते हैं ! इस दौरान पारंपरिक लिम्बु नृत्य, उडिंग और छब रंग के भी मजे लिए जा सकते हैं ! पेलिंग जाना कतई मुश्किल नहीं है ! ये इलाका भारत के कई प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग और रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है !
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