दक्षिण चिली मे कोरकोवाडो खाडी के करीब चैतेन शहर के उत्तर मे १० किलोमीटर की दुरी पर स्थित १०,००० साल पुराना एक निष्क्रिय ज्वालामुखी २ मई २००८ की सुबह अचानक जिवित हो गया ! उस ज्वालामुखी की राख १७ किलोमीटर तक बढी और पुरे शहर को अपने चपेट मे ले लिया ! उस समय करीबन ४००० लोग चैतेन मे रह रहे थे जिनको तत्काल खाली कराया गया ! अगले कई दिनो तक चैतेन का ज्वालामुखी तेजी से दहकता रहा जिसके चलते उसकी राख ३० किलोमीटर दायरे से लंबी बन गयी और देखते ही देखते वह चिली, अर्जेटिना और अटलांटिक महासागर के पार चली गयी !
चैतेन शहर ज्वालामुखी के विस्फोट से पुरी तरह से प्रभावित नही हुआ था ! जब तक भारी बारिश से राख और गड्ढे के अंदर का किचड ज्वालामुखी की वजह से चैतन नदी में जमा हो जाता ! जो ज्वालामुखी से पहले दक्षिण की तरफ आगे बढते हुए समंदर तक पहुंचती है ! जैसे लावा ने नदी के प्रवाह को अपना रास्ता बना लिया वैसे नदी के पानी का रास्ता बहोत ही धीमा हो गया ! नदी के पानी ने अपनी सीमा लांघ दी थी ! इस बात को ध्यान मे रखते हुए नदी के प्रवाह को खड्डे की विसाद पर नया रुख दिया गया जिससे आधा शहर ज्वालामुखी के चपेट से बच गया ! मगर आधा शहर पुरी तरह से नष्ट हो गया !
सौभाग्य से शहर पहले ही खाली कर दिया गया था इसलिए कोई जीवीतहानी का नुकसान नहीं हुआ ! लेकीन संपत्ती का नुकसान भरपुर मात्रा मे हुआ ! इमारते ढह गई, सडके पलट गई, घर और वाहन लावा रस के प्रवाह मे बह गई ! इन वर्षों में चैतेन जैसे था वैसे बना हुआ है क्योंकी उसका अधिकांश हिस्सा धूल के एक मोटी परत के नीचे दफन हुआ है ! आधा शहर जो की तबाही से बच गया है वह आधे तबाह हुए शहर की पर्यटन से लगभग उभर रहा है !
मूलतः दुर्घटना के बाद, सरकार ने चैतन के निवासियों को एक नए शहर में पुनर्स्थापित करने की योजना बनाई लेकिन निवासियों ने इसका विरोध किया और उसी जगह पर रहने का फैसला किया ! नया चैतेन शहर उत्तर की ओर है जो किचड से ढके पुराने तट से दूर है ! परंतु जितना सुरक्षित लगता है उतना है नही ! इसके विपरीत नया शहर ज्वालामुखी के एकदम करीब है जिसके चलते एक और शहर इस नदी के प्रवाह की सतह से बहने वाले ज्वाला रस की चपेट मे आकर नष्ट हो सकता है ! मतलब और एक बडा विस्फोट का खतरा यहा मंडराता है ! दरअसल पहले विस्फोट के ९ महीने बाद १९ फ़रवरी २००९ ज्वालामुखी फिर से उभर आया और चैतेन नदी के घाटी के प्रवाह के सहारे ५ किलोमीटर चैतेन शहर के अंदर तक आ गया !
ज्वालामुखी का आखिरी विस्फोट सन २०११ में हुआ था जो यह दिखाता है की अभी छोटी गतिविधिया उसके अंदर दहक रही है !
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