SUCHINDRAM THANUMALAYAN TEMPLE - TAMILNADU

तामिलनाडु का खुबसुरत सुचिंद्रम थानुमलायन मंदिर ( SUCHINDRAM THANUMALAYAN TEMPLE - TAMILNADU )


SUCHINDRAM THANUMALAYAN TEMPLE

कोडाईकॅनालसे कन्याकुमारी जाते समय कन्याकुमारीसे पहले करीबन १३ किलोमीटर की दुरीपर बसा विशाल सुचिंद्रम थानुमलायन मंदिर जानबुझकर क्यों ना हो मगर देखनेलायक है ! यहाँ भक्तोंका हमेशा जमावडा लगा रहता है ! ऐसा कहा जाता है यह मंदिर ९ वी सदि मे बनाया गया है ! उस जमाने के कई शिलान्यासोंकी लिखावटोंमे इस मंदिर का जिक्र आता है ! मगर १७ वी सदिन्मे इस मंदिर का जीणोर्द्धार गया है, यह मंदिर ब्रम्हा, विष्णु और महेश इन त्रिमूर्तीयोंको समर्पित है ! मगर यह त्रिमुर्तीया यहाँ लिंग स्वरूप मे है ! श्री विष्णु की अष्टधातुकी मुर्ती आंखोंको लुभा जाती है, मगर पुजाके लिये पहनाये गये वस्त्रोमेंसे मुल मुर्ती का दर्शन होना बहोत ही मुश्किल है !

कन्याकुमारी का विवाह शिव जी से होनेवाला था और इस मंदिर से शिव जी की बारात कन्याकुमारी जानेवाली थी ऐसी कहाणी यहाँ सुनाई जाती है ! मगर नारद मुनी ने शिव जी को गुमराह कर दिया जिस वजह से शिव जी विवाह के लिये जा ना सके ! मगर इसके पिछे नारद जी का कोई स्वार्थ नही था ! मजे हुये और घमंड से चूर वाणासुर का वध कुमारी कन्या की हाथोंसे होना था और कुमारी की शादी होती तो वाणासुर का वध होना असंभव था इस डर से नारद मुनीने ये शादी नही होने दी ! इसका परिणाम यह हुआ शंकर भगवान शादी मे नही पहुंच सके और कन्याकुमारी अपने दुल्हे की राह तकते सागर तटपर वैसेही खडी रह गयी !

इस सुचिंद्रम मंदिर मे हनुमान जी की १८ फिट उंची विशाल मुर्ती है, पुंछ उपर करके खडा हुआ यह हनुमान लंका को आग लगाने के बाद यहाँ खडा हुआ ! पुंछ मे रावण ने आग लगायी थी जो हनुमान जी ने सागर मे बुझायी फिर आके यहाँ खडे हो गये ! आग बुझने के बाद भी पुंछ जल रही थी जिसके परिणाम स्वरुप यहाँ आनेवाले भक्त उनके पुंछ को मख्खन लगाते है ! यकीनन इतनी उंचाई पर पहुंचना मुमकीन नही है इसलिये सिढीयोंके सहारे चढे हुये पुजारी यह मख्खन हनुमान जी के पुंछ को लगाते है ! देखने जाये तो इस मंदिर के बारे मे सुनाई जानेवाली सारी कहानियाँ मजेदार है मगर उनकी रचना करनेवाले यकिनन बहोत ही प्रतिभावान है इसमे कोई शक नही ! इन सारी कहानियोंको सच मानके चलने वाले और बर्ताव करने वाले भक्तोंको देखकर लगता है की श्रद्धा क्या चीज है !

इस मंदिर मे प्रवेश करते ही कुछ पत्थर के स्तंभ है, उसके उपर खास तरह से प्रहार करने से उसमें से ध्वनी सुनाई देती है ! अन्य स्तंभो की तरह यह स्तंभ दिखाई देते है मगर उसमें से सुनाई देने वाले आवाज को सुनने के बाद यह महसुस होता है की इनको बनाने वाले स्थापत्यकार कितने ज्ञानी और तज्ञ होंगे ! मंदिर के नजीक एक सरोवर है जिसके बिचोबीच एक मंडप है जो देखनेलायक है !

सुचिंद्रम से ८ किलोमीटर की दुरीपर नागरकॉईल शहर मे नागराज मंदिर है जिसकी यात्रा से चुकना नही चाहिए ! चीनी बनावट की वास्तुरचना वाला यह मंदिर बौद्ध विहार जैसा दिखाई देता है ! मंदिर मे नागराज की मुर्ती है उसी तरह विष्णु और शंकर जी की भी मुर्ती है ! जैन तीर्थकारोंकी प्रतिमाये इन पत्थरोंके ऊपर है ! नागरकॉईल गांव वैसे बहोत ही बडा है मगर रहने के लिये कन्याकुमारी पहुंचना ही बेहतर है ! यह पुरा रास्ता नारियल के बागोंसे गुजरता है और खत्म कब होता है इसका पता भी नही चलता ! स्वच्छ और विशाल मंदिरे दक्षिण की खासियत है और आज भी मंदिर मे नियमोंके मुताबिक पुजाअर्चा, पालखी, कई कार्यक्रम होते रहते है जो इस मंदिर की यात्रा और भी खुबसुरत बना देते है ! 

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