आंध्र प्रदेश का लेपाक्षी मंदिर – झुलते हुये खंबो की अद्भूत गुफा ( ANDHRA PRADESH – LEPAKSHI TEMPLE )
आंध्र प्रदेश ( Andhra Pradesh ) के अनंतपुर से ( Anantpur ) नजदिक लेपाक्षी मंदिर ( Lepakshi Temple ) है जो शिल्पकला का बहोत ही सुंदर उदाहरण है ! उसी तरह इस मंदिर के हवामे झुलते पत्थर के महाप्रचंड खंबे भी भाविक तथा पर्यटकों के लिये खास आकर्षण है ! इसके अलावा संपुर्ण ग्रॅनाईट पत्थर मे तराशे हुयी महाप्रचंड नंदी और नागलिंग प्रतिमा और पांव के निशान एकबार देखने जैसे है !
१६ वी सदी याने विजयनगर साम्राज्य के कार्यकाल मे बना यह मंदिर शिव, विष्णु और विरभद्र को अर्पण किया हुआ है ! इन तीन देवताओंकी अलग अलग मंदिरे है ! लेपाक्षी मंदिर की अधिरचना संभालनेवाले पत्थर के प्रचंड खंबोमेसे ७० खंबे जमीन से जुडे हुये नही है मतलब वो हवामे झुल रहे है ! इन खंबो के निचे से पतला कपडा आरपार जाता है ! यहा आने वाले भक्त जन यह प्रयोग जरुर करते है क्योंकी अगर कपडा खंबे के निचेसे आरपार हो गया तो घर मे सुख समृद्धी आती है ऐसा भक्तोंका विश्वास है !
ऐसा कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण विरण्णा और वीरपण्णा इन दो भाईयोने किया था ! विजयनगर के वास्तुकला का बहोतही बेजोड उदाहरण वाले इस मंदिर मे पत्थर की कडी, झुलते खंबे, दुर्गापडम, लेपाक्षी के साडी की तराशी हुयी डिजाईन ऐसे खुदाई के कामोंके साथ साथ बहोत सुंदर म्युरल पेंटिग्ज भी है ! दिवार पे महाभारत रामायण की कथाये और छतपर पेंटिग्ज भी है ! प्रचंड नंदी इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है ! साडेचार मीटर उंची, आठ मीटर से भी जादा चौडी ऐसा नंदी संपुर्ण पत्थर मे तराशा हुआ है
ऐसी कहानी सुनायी जाती है की मंदिर बनवानेवाले बिल्डर और विरण्णा मे कुछ मतभेद हो गये और विरण्णाने बिल्डर की आंखे निकालने की आज्ञा दी, यह सुनतेही बिल्डर ने खुद ही अपनी आंखे निकालकर सामनेवाली दिवारपर फेंक दी ! उन आंखोंके खुन के निशान आज भी दिवारपर मौजुद है ! विरुपाक्ष की आंखे इस नजरियेंसे उनको देखा जाता है ! बंगलुरु से इस गांव मे बस या रेल से जा सकते है !
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