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Photo Credit : Sindhudurgparya |
यह एक जागृत देवस्थान है जो सिंधुदुर्ग के देवगड मे दाभोल पोखरबांव मे स्थित है ! यहा गणेश जी के साथ साथ महादेव का स्वयंभु शिवलिंग है ! देवगड और कुणकेश्वर से महज १० किलोमीटर के दुरीपर देवगड-मालवण मार्ग पे रास्ते से लगके ही पोखरबांव यह स्थान है ! बहोत आराम से गाडी से सफर करते समय भी गणेश जी का दर्शन कर सकते है या यु कहीये अंजाने मे हर एक के हाथ यहा जुड जाते है !
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Photo Credit : Sindhudurgparyatan |
बहोत ही शांत और कुदरत की खुबसुरती से सजी हुई यह जगह बुनियादी तौर पर दाभोल गांव मे स्थित है ! चारोंतरफ आम के बगीचे, साथ साथ पहाडोंसे निरंतर बहता पाणी का प्रवाह और गणेश और महादेव जी के वास्तव्य से इस जगह को अलग ही सौदर्य प्राप्त हुआ है ! उसी तरह महादेव की पानी मे बैठी हुई ध्यानस्त मुद्रा मुर्ती, हनुमानजी का शिल्प और भी बहुत सारे शिल्प पर्यटकों को आकर्षित करते है ! पोखरबांव जैसी ऐतिहासिक जगह पे पहुंचते ही शहर की भीड से बहुत दुर आने का एहसास होता है, यहा पर कुदरत और भगवान का सहवास पलभर मे सब कुछ भुला देता है ! गणेश जी का दर्शन करने के बाद बायी तरफ से सिढिया उतर के निचे पहुंचते ही कुदरत के सुंदर वातावरण मे स्वर्ग सुख का एहसास होता है ! सामने ही शेषकुंड, गोकर्णकुंड, द्रौपदीकुंड और पांडव नाम के कुंड नजर आते है ! इन कुंडों का निर्माण किसने किया ये आजतक एक रहस्य बना हुआ है ! चट्टाणोंको तराश कर खुबसुरती से बनाये हुए यह कुंड पांडवों के पदस्पर्श से पावन हुए है ऐसा लोगों का मानना है !
सन १९७९ के दौरान इस मंदिर के परिसर मे कछवें के पीठ पर शिवलिंग बसा है ऐसा दृष्टांत श्रीधर राऊत जी को हुआ, उसके बाद लोगोंको इस बात की जानकारी देकर उस जगह को खोदा गया और सचमुच वहा शिवलिंग के दर्शन हुए ! इस शिवलिंग को उत्तर दिशा से देखने से श्रीहरी के वराह अवतार का दर्शन होता है, दक्षिण दिशा से देखेंगे तो कछवें की पीठपर शिवलिंग दिखाई देता है और दक्षिण उत्तर दिशा से देखने से पृथ्वी और चंद्रमा का हिस्सा दिखाई देता है ! इसी समय खुदाई के दौरान यहा पांडवों के जमाने के कुंड पाए गये ! बांव यानी कुआ, यहां से बह रहे पानी मे किए गये खुदाई की वजह से खड्डा तयार हुआ है ! जिसे उपर की तरफ से देखने यह हिस्सा एक कुए के जैसा दिखाई देता है, इस लिए इसे पोखरबांव कहते है ! इस कुए मे अलग अलग तरह की मछलिया पाई जाती है ! उसी तरह से कुए मे पैसे डालने से मन की मुराद पुरी होती है ऐसी भक्तों की श्रद्धा है ! हाल ही मे यहा एक विशाल मंदिर तथा सुंदर बगीचो के साथ साथ विश्राम तथा खाने के लिए दो मंडप बनाए गए है जिसमें से एक स्थायी स्वरुप का और अस्थायी स्वरुप का है !
पोखरबांव पर्यटन स्थल के रुप मे उभर के आ रहा है जिसके चलते पर्यटक यहा की यात्रा कर रहे है ! महिने के संकष्टी चतुर्थी, उसी तरह गणेश जयंती, अंगारकी संकष्टी, गणेश चतुर्थी को यहा भक्तों का मेला लगता है ! होम, गणेशयाग, पूर्णाहुती ऐसी धार्मिक विधीया यहा संपन्न होती है, तीन दिनो तक यह मेला चलता है ! यहा और भी कही छोटे मंदिर बनाये गए है, जैसे की सिढिया उतरके जलकुंड की तरफ जाते हुए गजानन महाराज, दत्त महाराज की मुर्तीया दिखाई देती है ! गगनबावडा के गगनगिरी महाराज भी यहा पधारे थे, उनके इस यात्रा की यादों को ताजा रखने के लिए उनकी प्रतिमा यहा लगायी गयी है ! ऐसे मन की मुराद पुरी करने वाले इस श्री गणेश जी के चरणो मे लीन होते हुए, उसी तरह यहांकी ऐतिहासिक धरोहरों का दर्शन लेते हुए कोकण की इस अध्यात्मिक संस्कृती पे गर्व महसुस होता है !
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