अर्मेनिया का वर्णमाला स्मारक

अर्मेनिया के अर्तशवन गांव के पास स्थित राजमार्ग से लगकर ३९ विशालकाय तराशे हुई अर्मेनियाई वर्णमाला ये है जो उन लोगों को समर्पित है जो इस भाषा का प्रयोग करते हुए गर्व महसुस करते है !

Armenian alphabet monument

 अर्मेनियाई वर्णमाला १६०० साल से भी अधिक पुरानी है और आज भी इसका मूल रूप में प्रयोग किया जाता है ! इस वर्णमाला निर्माण ४०५ सीई मे आर्मीनियाई भाषाविद्वान और धर्मनिरपेक्ष नेता सेंट मेस्रोप मशटॉट्स द्वारा कीया गया था ताकी बायबल को अर्मेनियाई लोगों तक पहुँचाया सके और ख्रिश्चन धर्म का प्रसार किया जा सके ! इससे पहले अर्मेनियाई लोगों की अपनी कोई वर्णमाला नहीं थी इसलिये वे ग्रीक, फ़ारसी और सिरिएक लिपियों का इस्तेमाल किया करते थे ! लेकिन इनमें से कोई भी लिपिया उनकी मातृभाषा की जटील बोली का प्रतिनिधित्व करने के लिए असमर्थ थी ! पवित्र शास्त्र जिसे सिरिएक में लिखा जा रहा था वह अनुयायियों को समझ ने के लिए काफी हद तक अपर्याप्त थी ! इसलिये उसे समझाने के लिए निरंतर अनुवादकों और दुभाषियों की आवश्यकता होती थी !

Armenian alphabet

एक राष्ट्रीय वर्णमाला की खोज के द्वारा इस राज्य की चीजों का समाधान करने का सेंट मेस्रोप मशटॉट्स संकल्प किया ! अर्मेनिया के आइज़ैक और राजा व्रमशापु की मदद से सेंट मेस्रोप मशटॉट्स ने ३६ अक्षरों का एक समूह बनाया ! कुछ सालो बाद उनमे और तीन अक्षरों को जोडा गया जिससे अक्षरों की कुल संख्या ३९ हो गई ! नए वर्णमाला की खोज के तुरंत बाद सेंट मेस्रोप मशटॉट्स ने अर्मेनिया में स्कूलों की स्थापना की जहां इस भाषा को सिखाया गया था !

Alphabet monument

इस नये वर्णमाला के अविष्कार के साथ ४०५ सीई मे अर्मेनिया साहित्य का जन्म हुआ जो अर्मेनिया के राष्ट्रीय भावना के निर्माण मे बहोत ही कारागर साबित हुआ ! यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि इस अनोखे वर्णमाला के आधार से उन्हे नई पहचान मिली नही तो वे अतीत के कई प्राचीन संस्कुतीयों की तरह गायब हो गए होते ! उसी तरह वे अन्य पूर्व अर्मेनियन लोगों से अलग थे जो उस समय पर विभिन्न शक्तिशाली साम्राज्यों द्वारा शासित थे, पार्सियन और सिरियन लोगों द्वारा अवशोषित थे ! इसी वर्णमाला कुंजी से अर्मेनिया के लोग उनकी संस्कृति और पहचान को संरक्षित रखने मे कामयाब हो पाए !

अर्मेनियाई वर्णमाला की १६०० वी जयंती के अवसर पर साल २००५ मे यह वर्णमाला स्मारक उस व्यक्ति के अंतिम स्थान के पास खडा किया गया है जिसने यह वर्णमाला बनायी थी !

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