आज पश्चिम - मध्य फ्रांस के लिमोसिन क्षेत्र मे ऑराडोर-सुर-ग्लेन गांव के अवशेष है ! इस गांव मे छोटे समुदायोंके विनाश को संरक्षित किया गया है, इसलिये इस गांव मे किये गये अत्याचार कभी भी नही भुलाये जायेंगे ! यहा दुसरे विश्व युद्ध के दौरान १० जुन १९४४ की सुबह जर्मनी ने गलती की थी ! उनका लक्ष्य ऑराडोर-सुर-वायर्स मे स्थित फ्रांस प्रतिरोध केंद्र को निशाना बनाना था ! वह बदला लेना चाहते थे लेकीन वह गलती से ऑराडोर-सुर-ग्लेन के पास के गांव को अपना लक्ष्य बना बैठे ! ऑरडॉर-सुर-ग्लेन के नागरिकों ने अपने जीवन को उन युद्धों से दूर रखने में कामयाब रहे जो उनके चारोंतरफ उग्र था ! उन्हें नहीं पता था कि ऑरडॉर-सुर-वायरेस गांव के पास फ्रांस के मिलिशिया और प्रतिरोध सैनिकों का केंद्र है, जिन्हें नियमित रूप से फ्रांस के नाजी कब्जेवाले इलाके को बाधित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था !
वाफेन-एसएस के कमांडर एडॉल्फ डीकमन बदला लेने के लिए बहोत ही बेकरार थे ! शायद इसलिये ही जर्मनो ने इन गांवों को भ्रमित कर दिया था ! १० तारीख की सुबह वह और उनकी रेजिमेंट ने ऑरडॉर-सुर-ग्लेन में प्रवेश किया था ! उन्होनें सभी निवासियोंको आदेश दिया कि वे सभी कैंप डे फूयर गांव के मेलावाले मैदान में इकट्ठा हो जाए ! उन्होंने सभी रहिवासियोंको कहा कि उनके पहचान पत्रों की जांच करना जरुरी है। फिर उन्होंने पुरुषों का एक समूह और महिलाओं और बच्चों को दूसरे समुह में अलग कर दिया ! नाझीओने गाते हुए बच्चों को प्रोत्साहित किया क्योंकि वे उन्हें और महिला को गांव के चर्च में ले गए थे ! इसके बाद उन्होंने पुरुषों को छोटे समूहों में अलग कर दिया !
गांव की महिलाओं और बच्चों ने दूर कही मशीन गन चलने की आवाज सुनी ! वे तब तक इंतजार कर रहे थे जब तक इन लोगों ने आगे बढ़ना नहीं छोड़ा, तब उन्होंने शरीर के जख्मोंको ढक दिया और अपने शरीर पर आग लगा दी ! नाझीओ ने विभिन्न स्थानोपर ज्यादातर पुरुषोंके पैरों में गोलीया मारी थी ! एक सैनिक ने कहा कि वे ग्रामीणों की पीड़ा को लंबा करना चाहते थे ! ५ पुरुष भाग निकलने मे कामयाब हो गये क्योंकी वे बाकी शवोंके निचे दबे पडे थे ! जब उन्हे बहोत गर्मी महसुस हुई तो वे वहासे भाग निकले और पास के झाड़ियों मे अगले दिन तक छुपकर बैठ गये ! उसी समय ४ बजे के आसपास नाजी ने महिला और बच्चों को असुरक्षित महसुस कराने के लिए चर्च में एक गैस बम रख दिया ! इस बम के खराब होनेपर सैनिकोसे बचने के लिए महिला और बच्चोने उनपर मशिनगन से गोलीया चलायी ! मगर सैनिकोने चर्च मे ग्रेनेड फेंक दिए ! नाझीयोने महिलाओं और बच्चोंपर घास डाल दिया और उनको आग मे झोंक दिया !
एक औरत मार्गरीट रौफफेंक एक अन्य महिला और बच्चे के साथ भाग गई ! उसके दो साथीयोंको गोली मारकर मार दिया गया था ! ४७ वर्षीय मार्गरीट एक सीढ़ी से खिड़की पर चढ़ने में कामयाब हो गयी थी मगर अचानक वह १० फिट नीचे जमींपर गिरी ! उसे ५ बार गोली मारी गयी मगर वह पिछे के रास्ते चर्च मे भाग जाने मे कामयाब हो गयी ! जहां उसने अगले दिन तक खुदको एक सब्जी की टोकरी मे छुपाये रखा था ! एक घंटे के भीतर जर्मनीयो ने ६४२ ग्रामीणों की हत्या कर दी थी, जिसमे २४७ महिलाये और २०५ बच्चे थे ! १०९ पुरुषोंको उन्होने मौत के घाट उतार दिया था ! तब तक नाझीयोने गांव के ज्यादातर घरोंको लूट लिया था और जला दिया था ! उन्होने अगली सुबह ऑराडोर-सुर-ग्लेन छोड़ी ! जर्मन पहले गाँव में प्रवेश करते उससे पहले गांव के लगभग 20 सदस्य भागने में कामयाब रहे ! इस हत्या के कुछ दिन बाद उन्हें मृतकों को दफनाने की अनुमति दी गई !
सन १९५३ मे युद्ध के बाद बॉरदीओक्स मे फ्रांस के अदालत ने इस नरसंहार के लिए २१ लोगोंको दोषी पाया ! उनमेंसे १४ अलेस्तियन थे जो फ्रांस के प्रांत अलसैस मे पैदा हुए थे ! जब १९४० मे नाजी सैनिकोने फ्रांस पर आक्रमण किया तो यहाके लोग जर्मन सेना मे शामिल हो गये थे ! उन १४ लोगोने दावा किया की उनको मजबूर किया गया था मगर कई लोगोने उन्हे धोखेबाज माना ! केवल दो लोगों को मौत की सजा सुनाई गयी ! कडे विरोध और प्रदर्शन के बावजुद अन्य लोगोंको ८ से १२ साल के बीच की जेल की सजा सुनाई गई ! अलेस्तियन को लगा कि वह बहुत कठोर थे ओराडौर के लोगोंको लगता है कि वे बहुत नरम थे परिणामस्वरूप सभी २१ पुरुषोंको बरी कर दिया गया !
जनरल चार्ल्स डी गौले ने कहा कि ऑराडोर-सुर-ग्लेन को फिर से नहीं बनाया जाना चाहिए ! उन्होंने महसूस किया कि इसे नाजी कब्जे की क्रूरता के लिए एक स्मारक के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए ! सन १९५८ मे पुराने गांव के करीब ऑराडोर-सुर-ग्लेन नाम का नया गांव बनाया गया ! जिसे यहांके मूल निवासी शहीदोंका गांव के नाम से बुलाते है ! कई लोगोने कहना है की वे रात में पुराने गांव में प्रवेश नहीं करते क्योंकी यह एक भूतोंका शहर है क्योंकी भूत भी ऐसी जगहोंकी तलाश मे है ! साक्षियों ने बताया है कि वे रात में अपनी खिड़कियों में खड़े होते हैं और बर्बाद हुए गांव के निर्जन सड़कोंपर कत्ल करके चलने वाले अंधेरे आत्माओं को देखते हैं ! दूसरों का कहना है कि वे अक्सर इस पुरानी गांव के ऊपर तैरती लकड़ी और मांस जलाने की सुगंध महसुस करते हैं ! अभी तक नए निवासियों ने शहीदों के गांव की सीमाओं के पास उपहार छोड़ दिए है ! जो आत्माओं की शांति भेंट के रूप में अभी भी रेंगते हैं !
आज यह पुराना गांव एक विरासत और युद्ध स्मारक के रूप में जनता के लिए खुला कर दिया गय है ! यहा नोटिस लगाकर यहा आनेवाले पर्यटकोंको मृत लोगों के लिए सम्मान दिखाने एलान किया गया है !
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