वेरुल ( एल्लोरा ) गुफाये - भारतीय कला संस्कृती की धरोहर ELLORA CAVES - THE HERITAGE OF INDIAN ART CULTURE

ELLORA CAVES


भारतीय कला संस्कृती की वास्तविक सांस्कृतिक धरोहर क्या है, यह जानना है तो हमे औरंगाबाद निकटवर्ती वेरुल गुफा की यात्रा करनी होगी ! वेरुल गुफा आज के दौर मे एल्लोरा गुफा ( Ellora Caves ) के नाम से जानी जाती है ! बेसाल्ट के भारीभरकम चट्टानोमे खुदाई गयी ये गुफा दो किलोमीटर के परिसर मे फैली हुई है, पर उसकी सबसे अलग और महत्वपुर्ण खासियत यह है के वह तीन अलग अलग धर्मो का प्रतिनिधित्व करती है ! इस पर से प्राचीन समय से भारतवर्ष मे सर्वधर्मसमभाव और धार्मिक एकजुटता कैसा था इसका खुबसुरत दर्शन होता है ! ३४ गुफाओ मे अंजान कलाकारोंके अथक परिश्रम से बनी यह गुफा ये हिंदु, जैन और बौद्ध धर्म का प्रतिनिधित्व करती है ! यकिनन सबसे पहले है कैलास गुफा ! 

सह्याद्री पर्वत की शृंखलाओंके चट्टानोमे तराशी हुई यह गुफाये दुनिया की एकमात्र एक साथ बनाई हुई बडी संरचना है ! ऐसा कहा जाता है की चोटीसे सतह तक खोदी गयी यह गुफाये कई राजघराणोंकी मदद से बनायी गयी है क्योंकी इन गुफाओंका काम ५०० सालोंतक चल रहा था ! मतलब कलाकारोंकी और राजघराणोंकी कितनी पिढीया उस समय गुजर गयी होगी ! इन गुफाओंका काम ५०० एडी से १००० एडी के समय हुआ होगा, ऐसी कई समझदार और प्रशंसनिय बाते उन गुफाओ मे जो शिलालेख मिले है उनसे बया होती है ! शिलालेखोन्मे जो जानकारी लिखी गयी है उससे पता चलता है के इन गुफाओंका निर्माण राजा कृष्ण ( पहला ) ने शुरु किया था ! आसमान से गुजरते हुए देव, यक्ष भी इन गुफाओंको रुककर देखते थे और सोचते थे वास्तव मे इसका निर्माण मनुष्योने किया होगा क्या ऐसा भी यह शिलालेख बताते है ! 

३४ गुफाओ मे से पहली १२ बौद्ध गुफाये है ! यह ५ वी या ७ वी सदि मे खुदाई गयी है ! कई मंजिलोंपर रहने की जगहे, प्रार्थनास्थल और बौद्ध बोधिसत्व के पुतले यहा दिखाई देते है ! मॉनेस्ट्रीज करके इन गुफाओंका इस्तमाल किया जा रहा था ! १०  नंबर की गुफा मे बोधिसत्व का सुंदर पुतला है जो विश्वकर्मा वास्तुशिल्पकार की गुफा के नाम से जानी जाती है ! इसका सिलिंग लकडी का बनाय हुआ है ऐसा महसुस होता है ! यहा भी दो मंजिले चट्टानो को खोद कर बनायी गयी है ! 


ELLORA CAVES INDIA


१२ से आगे की १७ गुफाये हिंदु गुफाये कर के जानी जाती है ! अलग वास्तुशैली तुरंत ध्यान खिंच लेती है ! हर एक गुफा मे तराशी हुई डिझाईन्स बहोत ही मुश्किल और अलग अलग थीम इस्तमाल कर के खुदाई गयी है ! इन सब मे मुकुटमनी मतलब कैलास गुफा ! हिमालय के कैलास पर्वत से मेल खाती यह गुफा संपुर्ण चट्टान मे खुदाई गयी है ! कलाकारिंकी कई पिढिया इन कामो मे गुजर गयी ! कई पौराणिक कथाओंको इन चट्टानो मे जिवित कर दिया गया है ! गुफाओंकी सतह मे खुदाये गये हाथीयोंके पीठपर मंडप है जिनमे नंदी स्थित है ! मुख्य मंदिर के बीचोंबीच बनाये गये पत्थर के पुल से नंदी और मंदिर जोडा गया है ! उसमे कई प्रतिकोंका खुबसुरतींसे इस्तेमाल किया गया है ! रावण कैलास पर्वत उठा रहा है ऐसा एक दृश्य दर्शाया गया है जिसमे रावण को पर्वत उठाने के लिए लगने वाला कष्ट उसके चेहरेपर स्पष्ट रुप से दिखाई दे रहा है ! 

दो लाख टन वजन के इस चट्टान को तोडके उसमे कैलास काव्य तराशनेवाले कलाकारोंकी कोशिश को समस्त मनुष्य जातीने झुककर सलाम करनाही चाहिए ! निरंतर १०० साल तक यह खुदाई और तराशने का काम चल रहा था ऐसा इतिहास बया करता है ! 

बाकी गुफाओ मे विष्णु के दशावतार, उसमे भी स्तंभ को चिरके बाहर आया हुआ नरसिंह और हिरण्यकश्यपु का किया हुआ वध देखनेलायक है, रामेश्वर, रावण की खाई, नीलकंठ ऐसी अन्य गुफाये भी पगपग पर आश्चयोंसे दंग कर देनेवाली है ! 

अंतिम है जैन गुफाये जो आखिर मे निर्माण की गयी है ! छोटा कैलास, इंद्रसभा, जगन्नाथ सभा की दृश्य बडी बारीकीसे और नाजुक कलाकारींसे इन पत्थरोन्मे जिवित कर दी गयी है ! छतपर पेंटींग्ज है ! 

बारिश के बाद यह सारा परिसर हराभरा हो जाता है और छोटे छोटे झरणे प्राकुतीका सौदर्य पुरा कर देते है ! वेरुल ( एल्लोरा ) गुफाओंकी यात्रा करने का यकिनन यह सही समय होता है ! जाने आने के अच्छे प्रबंध है मगर मंगलवार को यह गुफाये बंद होती है ! इसे ध्यान मे रखकर ही अपनी यात्रा का प्रयोजन करे और गुफाये देखते वक्त गाईड की मदद जरुर ले !

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