DWARAKA - HOLY SHRINE

द्वारका - पवित्र तीर्थस्थल ( DWARAKA - HOLY SHRINE ) 

Dwarakadheesh Temple
Dwarakadheesh Temple

द्वार यानी दरवाजा, उसपर से ही इस शहर को द्वारका नाम मिला ! यहाँ दो द्वार है एक है स्वर्गद्वार और दुसरा है मोक्षद्वार, स्वर्गद्वार से प्रवेश करके मोक्षद्वार से बाहर निकलना ! हिंदु धर्म के लोगो के लिये बहोत ही पवित्र यह क्षेत्र श्री विष्णु के चार धामो मे से एक माना जाता है ! आद्य शंकराचार्य ने जीन्ह चार पीठोंकी स्थापना की उसमे भी द्वारका समावेश है ! अन्य पीठो मे श्रृंगेरी, जगन्नाथ पुरी, ज्योतिर्मठ ( जोशी मठ ) का समावेश है ! चार धामो मे से अन्य धाम इस प्रकार है बद्रीनारायण, पुरी और रामेश्वर !

द्वारका का राजा श्रीकृष्ण इसलिये श्रीकृष्ण को द्वारकाधीश भी कहा जाता है ! विश्वकर्मा ने कृष्ण के लिये ही द्वारका का निर्माण किया ऐसी यहाँ की समझ है ! इस शहर का जीक्र महाभारत, हरिवंश, भागवत पुराण, स्कंद पुराण और विष्णुपुराण मे भी पाया जाता है ! संपन्न ऐसे सौराष्ट्र का ये शहर गोमती नदी के किनारे पे बसा है और उसे द्वारमती, द्वारवती और कुशस्थली ऐसे भी नाम है !

गांव मे पहले द्वारकाधीश मंदिर देखा जा सकता है, छटी या सातवी सदी मे बनाया गया यह मंदिर है ! सबसे पहले इस मंदिर का निर्माण श्रीकृष्ण के नाती वज्र ने किया ऐसा इस मंदिर का इतिहास है ! पांच मंजिलोंका यह मंदिर चुनखडी और पत्थरोंसे बनाया गया है ! इस मंदिर का ध्वज दिन मे पांच बार बदला जाता है, यहाँ स्वर्गद्वार और मोक्षद्वार है ! गोमती नदी का जहा समुद्र से मिलन होता है उसी जगह पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है ! मंदिर मे द्वारकाधीश के सुंदर मुर्ती है जिसे गहणोंसे सजाया गया है, जिसे देखकर भक्तोंकी आंखे तृप्त हो जाती है ! इस मंदिर के परिसर मे कृष्ण के पिता वासुदेव, देवकी, बलराम, रेवती, सुभद्रा, रुक्मिणी, सत्यभामा और जांबवंती की भी मंदिरे है !

द्वारका मे और भी देखनेलायक वास्तु है जैसे यहाँ के सुंदर रास्ते, महल और सुदामा सभा ! यहा कृष्ण के राणीयोंके सात हजार महल थे ऐसा बताया जाता है ! उनमेंसे कुछ आज भी देखे जा सकते है, खुबसुरत बगींचोने इस शहर की सुंदरता को और भी हसीन बना दिया है !

Dwaraka - Under The Sea
Dwaraka - Under The Sea

श्रीकृष्ण की यह द्वारका असली नही है क्योंकी वह सात बार समुंदर मे डुब गयी थी ! इस द्वारका के करीब द्वारका द्वीप है जहाँ बोट से जाना पडता है ! मुल द्वारका डुब जाने के बाद कृष्ण ने यादवोंके साथ मिलकर नयी राजधानी बनायी थी ऐसा कहा जाता है ! यहा भी द्वारकाधीश मंदिर है यहाँ की मुर्ती भी उस द्बारकाधीश मंदिर के जैसे ही है ! यहाँ खास कर देवी रुक्मिणी का मंदिर है, कृष्ण मंदिर को यहाँ जगत मंदिर के नाम से जाना जाता है ! उसके साथ साथ यहाँ लक्ष्मीनारायण, त्रिविक्रम और जांबवती इनकी भी मंदिरे है ! बारा ज्योतिर्लिंगो मे से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग यहाँ से बहोत करीब है !

महाभारत के युद्ध के पश्चात श्रीकृष्ण वैकुंठ चले गये, उसके ३६ साल बाद अर्जुन द्बारका गये और कृष्ण के नाती को हस्तिनापुर ले आये ! अर्जुन और कृष्ण के नाती वज्र द्वारका से बाहर निकलते ही द्वारका डुब गयी ! विशेषता इस गांव से दुर समुंदर मे खोज करते समय असली द्वारका के अवशेष पुरातत्व विभाग मिले, वहाँ आज भी समुंदर मे डुबे हुये द्वारका की तटबंदी दिखाई देती है उसी तरह उस जमाने के बर्तन और गहणे ऐसी कई वस्तुये मिली है ! मगर इस जगह जा नही सकते !

द्वारका मे रहने के लिये कई अच्छी जगह है और खानेपिणे के भी अच्छे प्रबंध है ! यहाँ आप खासकर गुजराती पदार्थोंका आनंद ले सकते है ! यहाँ जाने आने के लिये रास्ते का सफर बहोत ही बेहतर है उसी तरह रेल की भी सीधी सेवा उपलब्ध है ! 

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