मारखा व्हॅली – विविधता का मनोरम दर्शन ( MARKHA VALLEY – JAMMU AND KASHMIR )
जम्मू कश्मीर ( Jammu and Kashmir ) के लडाख ( Ladhakh ) जिले के पूर्वी इलाके मे फैली हुई मारखा व्हॅली ( Markha Valley ) मतलब जैसे लगातार बदलने वाली प्रकृती के दृश्योंकी फिल्म हो ऐसा प्रतीत होता है ! बहोत ही दुरदराज और प्राकृतिक सौदर्य को बचाये हुये गांव और तिब्बत की बौद्ध मंदिरे इनकी मौजुदगी से मारखा व्हॅली के सुंदरता मे और भी निखार आ गया है ! लेह के इलाके मे कई ट्रेक है मगर मारखा व्हॅली ट्रेक के लिये सबसे आसान होने की वजह से ट्रेकर्स की पहली पसंदीदा जगह बन गयी है ! सबकी नजर से ओझल हुआ एक पुराना किला भी इस मारखा गांव मे है ! उसपे अभी तक किसीने आक्रमण नही किया इसलिये उसकी मुल खुबसुरती अभी तक बरकरार है !
रुंबाक और निमालिंग इन दो बडे गांवो के बिच मे यह गांव बसा है ! इस ट्रेक का सबसे उंचा स्थान यानी कोंगमारु यहाँ से मारखा व्हॅली जाना आसान होता है ! रुंबाक पार करते ही यह व्हॅली लगती है फिर आता है निमालिंग और निमालिंग के पार कोंगमारु यहा ये उंचा शिखर है ! रुंबाक जिस तरह ट्रेकर्स के लिये आसान है उतना ही कोंगामारु मुश्कील है ! मारखा व्हॅली यह नाम मारखा नदी की वजह से मिला है और मारखा नदी झंस्कार नदी की उपनदी है !
मारखा व्हॅली मे लडाख की पुरानी संस्कृती के अवशेष अभी पाये जाते है ! खासकर किले और गढी के रुप मे वह दिखयी देते है ! वैसे तो ये परिसर बंजर दिखयी देता है मगर छोटे छोटे नाले लांघने के बाद बहोत चलने के बाद इस थंडे बंजर इलाके के बाद हरियाली से भरी मारखा व्हॅली दिखाई देती है ! बर्फ मे रहने वाले चिते और सियार बिच बिचमे दिखाई देते है ! कँग यात्से यह मारखा व्हॅली का आखिरी हिस्सा है और वह ४७०० मीटर की उंचाई पर है ! बाद मे गँडाला यह शिखर लगता है यह शिखर ५२०० मीटर उंचा है ! इस इलाके का ट्रेकिंग हेमीस मोनेस्ट्री इस बौद्ध मंदिर के पास खत्म हो जाता है ! वहाँ हेमीस नॅशनल पार्क बसाया गया है ! मारखा व्हॅली मे अब तक तो कोई महंगे सितारोंवाले हॉटेल्स की सुविधा मौजूद नही है ! मगर वहाँ आनेवाले मुसाफिरोंके लिये लोगोंके घर मे रहने की सुविधा उपलब्ध हो सकती है !
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