DHOLYA GANAPATI – WAI ( SATARA )

वाई का ढोल्या गणपती ( DHOLYA GANAPATI – WAI ( SATARA )

DHOLYA GANAPATI – WAI

सातारा जिले का सबसे खुबसुरत गांव वाई वहाँ के कई घाट और मंदिरोंके वजह से मशहूर है ! पुरातन काल मे विराटनगरी नाम से पहचाने जानेवाले इस गांव को दक्षिण की काशी नाम से पुकारा जाता है ! क्रिष्णा नदी के तटपर बसा यह गांव जैसे घाट और मंदिरोंके लिये जाना जाता है उसी तरह फिल्मजगत की बेहतरीन लोकेशन के लिये भी पहचाना जाने लगा है ! विश्वकोश की रचना करनेवाले लक्ष्मणशास्त्री भी इसी गांव के रहीवासी है ! 

ऐसा कहा जाता है की पेशवा सरदार रास्ते जिन्होने इस कृष्णातट पर इन सुंदर घाटोंका निर्माण किया ! गणपती घाटपर का विशाल आकार का गणपती इस गांव की खासियत है ! इसकी विशाल आकार की वजह से यह गणपती ढोल्या गणपती के नाम से जाना जाता है ! 

इस छोटेसे गांव मे सात घाट है और उनके उपर कई मंदिरे है ! इस गांव मे कृष्णाबाई का उत्सव हर घाट पे मनाया जाता है ! ऐसा कहा जाता है की प्रतापगढ पे शिवाजी महाराज से मिलने आया हुआ बिजापुर का सरदार अफजलखान पहले इसी गांव मे ठहरा हुआ था ! तब यहाँ के शेंडेशास्त्री ने शिवाजी महाराज की जीत की मन्नत मागते हुये यहाँ उत्सव मनाने की मनोकामना की थी और कृष्णा की प्रार्थना की थी ! कृष्णा प्रसन्न हो गयी अफजलखान मारा गया और कृष्णाबाई का उत्सव शुरु हो गया जो अभीतक चला आ रहा है ! 

इस घाटपर हेमाडपंती रचना की कई मंदिरे ह, उसमे से एक यानी ढोल्या गणपती मंदिर ! यह मंदिर १७६२ साल मे शिलाहार घराणे के राजा भोज ने शहर की सरक्षंक देवता के तौर पे निर्माण किया था जिसका निर्माण कार्य १० सालोंतक चल रहा था ! उस जमाने मे इस मंदिर की निर्माण के लिये देढ लाख खर्चा आया था ! मंदिर की १० फिट उंची और ८ फिट चौडी गणेश मुर्ती  बहोत ही विलोभनीय है और संपूर्ण पत्थर मे तराशी गयी है ! मंदिर की बाढ से सुरक्षा हो इसलिये यह मंदिर मच्छी के आकार मे बनाया गया है ! 

इसके अलावा चक्रेश्वर, चिमणेश्वर, कुंटेश्वर, काळेश्वर, कृष्ण मंदिर, गणपती, विठ्ठल, दत्त, बहिरोबा, महादेव, विष्णु, हनुमान ऐसी बहोत सी हिंदु देवतावोंकी मंदिरे वाई मे है ! इसी गांव मे १०५ साल पुरानी गोवर्धन संस्था है !

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